मोती भी उसको अपने हाथों से रोटी खिलाता।
मुकेश को अब स्कूल और घर के बीच किसी प्रकार की गंदगी दिखाई नहीं देती थी। इसे देखकर वह काफी खुश होता था।
साधु की पुत्री - हितोपदेश की प्रेरक कहानियां
गाड़ी आने के समय से बहुत पहले ही महेंद्र स्टेशन पर जा पहुँचा था। गाड़ी के पहुँचने का ठीक समय मालूम न हो, यह बात नहीं कही जा सकती। जिस छोटे शहर में वह आया हुआ था, वहाँ से जल्दी भागने के लिए वह ऐसा उत्सुक हो उठा था कि जान-बूझ कर भी अज्ञात मन से शायद किसी इलाचंद्र जोशी
सिंहराज उसके लिए शिकार करता और भोजन ला कर देता।
उनकी पूरी योजना जानने के लिए हमारा पॉडकास्ट सुनें ।
उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। काफी प्रयत्न कर रही थी, किंतु वह रस्सी से बंधी हुई थी।
(एक) “ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे?” कहता हुआ एक पंचवर्षीय बालक बाबू रामजीदास की ओर दौड़ा। बाबू साहब ने दोंनो बाँहें फैलाकर कहा—“हाँ बेटा, ला देंगे।” उनके इतना कहते-कहते बालक उनके निकट आ गया। उन्होंने बालक को गोद में उठा लिया और उसका मुख विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक'
विशाल ने अगले ही दिन कवच को तालाब में छोड़कर आसपास घूमने लगा।
चूहा बोतल पर चढ़ा किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो जाता है। अब उसमें चूहा मुंह घुसाने की कोशिश करता है। बोतल का मुंह छोटा था मुंह नहीं घुसता। फिर चूहे को आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ शरबत से गीली हो जाती है उसे चाट-चाट कर चूहे का पेट भर गया। अब वह गोलू के तकिए के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम से करने लगा।
निस्वार्थ भाव से व्यक्ति को मित्रता करनी चाहिए। संकट में मित्र ही काम आता है।
Very last Current on: 29/06/2024 by Hindi Vibhag These days we've been writing Hindi limited stories with ethical values for teenagers. These tales are here only for kids and likewise written in that lucid language. These Hindi stories with morals could also be helpful for teachers.
लाइव, इसराइल: बंधकों की रिहाई को लेकर प्रदर्शन और हड़ताल
Picture: Courtesy Amazon To start with revealed in 1927, this Hindi fiction guide is often a poignant exploration of social difficulties and human thoughts in early 20th-century India. The story revolves throughout the protagonist, Nirmala, a younger and harmless bride who becomes a target of societal norms, customs, plus the prevailing patriarchy. Premchand skillfully weaves a narrative that delves into the harsh realities confronted by Ladies in the conservative society. Nirmala’s journey is marked by tragedy, as she navigates with the complexities of a dysfunctional marriage, societal expectations, as well as challenges of getting a lady in that period.